Dr. Neelam

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नहीं पूछना

*नहीं पूछना*

नहीं पूछना चाहती
क्यों मुख मोड़ लिया
मर्द था न? मन भरा
बस छोड़ दिया

साहस नहीं था
जिंदगी भर साथ
निभाने का
इसीलिए गुपचुप था
ब्याह किया,
मैं तो बस उसकी बातों
का एतबार कर
बैठी थी
तन से नहीं मन से
समर्पण कर बैठी थी
बीज प्रेम का
कोख में पाकर मन
कितना हर्षाया था,
क्या पता था यही प्यार
छल-कपट और 
जाल-माया था।

नित-नूतन उसके
वादे होते थे,
सात जन्मों के बंधन
हैं हमारे
लब कहते नहीं थकते थे
लगा जरा पता
पिता बनने का उसको
गौरान्वित होने के
बदले क्रोध में वो
पागल हुआ
प्यार का बुखार उतरा
मुख मुझसे उसने
फेरा था।

       डा.नीलम

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5 Comments

Reyaan

12-Dec-2023 01:05 PM

V nice

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Milind salve

12-Dec-2023 12:34 PM

Nice

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Gunjan Kamal

08-Dec-2023 08:23 PM

👌👏

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